Chhath Puja 2024 History : छठ पर्व एक पर्व नहीं एक आस्था का पर्व है यह पर्व बिहार , उत्तर प्रदेश और झारखण्ड के लोगो के लिए एक इमोशन है , यहं के लोग इस पर्व को खो जताए है , यह पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाता है यह पर्व चार दिनों तक चलता है जिसका एक अलग की पौराणिक कथा है , तो चलिए जानते है की छठ पर्व की शुरुआत कैसे हुई थी,छठ पूजा की असली कहानी क्या है इन सभी के बारे में जानते है |
दोस्तों आपको इस लेख में छठ पर्व के इतिहास के बारे में जानने वाले है , आप सभी लोगो से निवेदन है की इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर ताकि उन्हें भी इसके बारे में पता चले , तो चलिए जानते है छठ पूजा की असली कहानी क्या है |
Chhath Puja History 2024 | छठ पूजा की असली कहानी क्या है?
Post Name | Chhath Puja 2024 History: छठ पूजा का इतिहास, जानें कैसे हुई छठ पूजा की शुरुआत |
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पर्व | छठ |
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Chhath Puja 2024 History | छठ पर्व की शुरुआत कैसे हुई थी
छठ पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाता है यह पर्व दिवाली के 6 दिन बाद छठ पूजा की शुरुआत होता है इस वर्ष छठ पर्व 5 नवम्बर 2024 नहाय -खाय से शुरू होगा और 08 नवम्बर 2024 को ख़त्म होगा , छठ पूजा की शुरुआत कैसे हुयी ? इसका जवाब हमें कई पौराणिक कथायो और वेदों में मिलाता है पौराणिक कथायो के अनुसार त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी ने छठ पूजा व्रत रखकर सूर्यदेव को अर्ध्य दिए थे , तो चलिए जानते है की आखिर छठ पूजा की शुरुआत कैसे हुआ |
रजा प्रियव्रत के घर मृत पुत्र का जन्म
हमें पुराणिक कथा के अनुसार रजा प्रियव्रत नमक एक रजा थे वे बहुत ही दुखी रहते था क्युकी उनकी कोई भी संतान नहीं थे जिसके बाद रजा ने यह सभी बात महर्षि कश्यप को बताई जिसके बाद महर्षि ने रजा को पुत्रेष्टि यज्ञ करने की सलाह दी जिसके बाद यज्ञ में आहुति देने के लिए बनायीं गयी खीर को रानी मालिनी को दिया गया , खीर खाने के बाद रानी गर्भवती हुयी और उन्हें पुत्र प्राप्त हुआ , लेकिन दुर्भाग्य से पुत्र मृत पैदा हुआ
देवी पष्ठी की कृपा से प्राप्त हुआ पुत्र
रजा प्रियव्रत अपने पुत्र का शव लेकर शमशान ले गए और अपने पुत्र के वियोग में आपने प्राण त्यागने लगे तभी ब्रह्मा जी छठी पुत्री देवी षष्ठी प्रकट हुई , देवी षष्ठी भगवान ब्रम्हा जी मानस पुत्री है , देवी षष्ठी ने रजा से कहाँ की “मैं सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न हुई हूँ, इसलिए मेरा नाम षष्ठी है। तुम मेरी पूजा करो और लोगों में इसका प्रचार-प्रसार करो।”
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को रखा जाने लगा व्रत
देवी षष्ठी के कहने पर रजा ने कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को पूरी बिधि विधान से पूजा किया जिसके बाद देवी षष्ठी की कृपा से उन्हें एक स्वस्थ पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई जिसके बाद रजा प्रियव्रत ने देवी षष्ठी की महिमा के बारे में पुरे राज्य में बताया और और सभी लोग देवी षष्ठी की पूजा करने लगे | और ऐसे ही छठ पर्व की शुरुआत हुयी
त्रेतायुग में माता सीता और द्वापर युग में द्रौपदी ने भी रखा था छठ का व्रत
रामनयन के अनुसार त्रेतायुग में रावण का वध करने के बाद श्री राम और माता सीता और लाक्स्मण जी के साथ जब आयोग्ध्य लौटे तब मात सीता ने अपने कुल की रक्षा और सांति के लिए सीता माता ने कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को व्रत रखकर देवी षष्ठी और सूर्यदेव की आराधना की थी | इसके आलावा द्वापर युग में द्रौपदी ने अपने पति की रक्षा और खोया हुआ राजपाट लेने के लिए देवी षष्ठी और सूर्यदेव का व्रत रखी थी |
Source :- NavbharatTimes
Chhath Puja 2024 History से सम्बंधित कुछ सवाल
छठ पूजा सबसे पहले कौन मनाई थी?
पुराणिक कथा के अनुसार सबसे पहले छठ पूजा का पर्व माता सीता ने मानी थी |
छठ किसकी पुत्री थी?
पुरानो के अनुसार ब्रह्मा जी की मानस पुत्री देवी षष्ठी है जिन्हें की छठी मैया के नाम से भी जाना जाता है |